स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरणा वाक्य





स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरणा वाक्य जो उन्होंने देश के युवाओ के लिए कहाँ था |

कमजोरी का इलाज कमजोरी का विचार करना नहीं ,पर शक्ति का विचार करना हैं | मनुष्य को शक्ति की शिक्षा दो जो पहले से ही उनमें हैं  


कोई भी जीवन असफल नहीं हो सकता संसार मे असफल कही जाने वाली कोई वस्तु है ही नहीं । सैकडों  बार मनुष्य  को चोट पहुच सकती है, हजारों बार वह पछाड़ कहा सकता है पर अंत मे वह यही अनुभव करेगा की वह स्वयम्  ही ईश्वर  हैं | 


इच्छा शक्ति ही सब मे अधिक बलवती है| इसके सामने हर वस्तु झुक जाति है, क्योंकि वह ईश्वर और  स्वयं से ही आती है;  पवित्र और दृढ़ इच्छाशक्ति सर्वशक्तिमान है|  क्या तुम इसमें विश्वास करते हो ?  


भय ही पतन तथा पाप का कारण है | भय से दु:ख होता है यही मृत्यु का कारण है तथा इसी के कारण सारी बुराई तथा पाप होता है |


तुम फ़ुटबाल के जरिये स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे बजाये गीता का अध्ययन करने के।


जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।


जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो।

 

युवाओ के लिए   स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरणा वाक्य


हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।


चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो


जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।


जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।


शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।


ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।

 

स्टूडेंट के लिए स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरणा वाक्य


खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।


उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।


यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।


सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है- वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता। पूर्ण रूप से निःस्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल हैं।


एक विचार लो। उस विचार को अपना जीवन बना लो – उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो, और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो। यही सफल होने का तरीका हैं।



जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो–उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है, और उन्हें बहा ले जाती है, तो ले जाने दो; वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही हैं।


सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है- वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता। पूर्ण रूप से निःस्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल हैं।


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