पुस्तक समीक्षा - तीन हजार टांके (THREE THAOSEND STICHES) by Mrs. Sudha MURTY

book review teen hazar tanke hindi

        पुस्तक का नाम :-

  तीन हजार टांके (THREE THAOSEND STICHES)

zoner/subject पुस्तक विषय: 

collection of 11 kahani 

 लेखक/writer:-   

श्रीमती सुधा मूर्ति 

प्रकाशक/publisher  :- 

 प्रभात पेपरबैकस्  

प्रकाशन वर्ष :-

 2018

पुस्तक का मूल्य :-

 175 /- rupees 

भाषा / Languages:-

इंग्लिश ,हिन्दी ,मराठी 

फिक्शनल / नॉन फिक्शनल :-

 नॉन फिक्शनल,  

क्या बच्चों के लिए हैं :-

  प्रेरक टीनैज स्टूडेंट  के लिए  

पुस्तक की लिखावट writing :-

 सरल शब्द से लिखावट ,

अब्यूसिव लैंग्वेज हैं :-

 नही, 

 age restriction :-

 नहीं ! सभी उम्र के लिए,बच्चों के लिए भी  


तीन हजार टांके - पुस्तक समीक्षा 

THREE THAOSEND STICHES/ तीन हज़ार टांके इस  पुस्तक   में 11 अलग अलग कहानी  हैं और सभी  स्टोरी सुधा जी के निजी  ज़िंदगी  के छोटे-मोटे अनुभव से जुड़े हैं..,हर कहानी एक-दूसरे से अलग हैं|

 ये पुस्तक सुधा मूर्ति जी की  जीवनी न हो कर  बस उनके जीवन के कुछ अंश  का  जिक्र है,जो साधारण होते हुए भी प्रेरक हैं, ये उनकी आत्मकथा या बायोग्राफी बिल्कुल  नहीं हैं बस उनके बचपन, वयस्क और इंफ़ोसिस  हेड के रूप में कुछ छोटे-मोटे अनुभवो का किस्सा हैं, जिसमे  बहुत ही बारीक़ बातों  जैसे त्याग, सादगी-सिम्पलिसिटी,, दूसरों की मदद,  बचत, व्यर्थ का दिखावों को त्यागना, इन सब बातों  को अपने जीवन के अनुभव के साथ सरल शब्दों के साथ बताया हैं |

 सुधा मूर्ति जी ने इस किताब में  बड़ी ही सहजता और सरलता के साथ अपने सरल अनुभव को लिखा हैं जो हर व्यक्ति के जीवन में  घटित होता होगा, पर उनका देखने का नजरिया थोड़ा अलग हैं । 

ज्यादातर बाते हम सब को पता ही होता हैं पर उसके  महत्व को समझ  नही पाते हैं अपने निजी अनुभवों का संग्रह  सुधा मूर्ति जी ने इस किताब मैं बड़ी ही सहजता और सरलता के साथ किया है।

 इस पुस्तक में  सुधा जी ने  ऐसे घटनाओं का वर्णन किया है कुछ तो बहुत ही मामूली हैं पर जो कुछ न कुछ नैतिक मूल्यो को साझा करती है।कैसे वों अपने इंजीनियर कालेज में अकेली लड़की थी.... उन्होंने क्या क्या एक्सपीरिएंस किया ...और अपने अंदर क्या-क्या बदलाव लाए | इंफोसिस के हेड के रूप में  उनके अनुभव और अपने नजरिये को शब्दों का रूप दिया |


इसे भी देखें :- पुस्तक समीक्षा -गोदान कृति प्रेमचंद्र |

 

इस book का टाइटल नाम "THREE THAOSEND STICHES/ तीन हज़ार टाके ", इस बुक का  पहला चैप्टर हैं जिसमे उनके तथा उनके फाउंडेशन  द्वारा 3000 महिलाओं को  देवदासी परंपरा  से निकल कर समाज के मुख्य-धारा में मिलाया उन्हें आत्मनिर्भर बनाया |

बाकि के चैप्टर उनके इंफोसिस के हेड के रूप में आए अनुभव,  उनके जीवन की कुछ विशेष पल  जिसमे उनका आत्म-विश्वासी युवती, जिज्ञासु बचपन और अपने पिता के व्यक्तित्व उनका सहयोग और सलाह, अपने दादी-दादा के बातों और अनुभव का जिक्र हैं| 

 

तीन हजार टांके - पुस्तक समीक्षा book review

पुस्तक  के लिखावट सरल हैं जिसे टीनजर्स/ भी आसानी से पढ़ सके और सच्चे मायने में यह किताब टीनएजर्स के लिए बहुत ही अच्छी हैं |खास कर गर्ल स्टूडेंट के लिए बहुत अच्छी हैं |

इसमें "सफल व्यक्तित्व के लिए  नैतिक मूल्यों का क्या महत्व हैं?",परिस्थिति प्रतिकुल होने पर भी अपने लक्ष्य के प्रति फोकस रहना   जो यंग विद्यार्थी  के लिए बहुत अच्छी हैं |सुधा जी ने अपने  जीवन के अनुभव अपने  विचार को और भौतिकवादी जीवन के प्रति उनकी सोच को बताया हैं 

इस उम्र में  जीवन के अनुभव उनके पास तो  है ही ,परंतु साथ ही  एक सफल कंपनी की प्रधान होने के नाते उनकी सफलता के प्रति अनुभव, आवश्यकता को प्राथमिकता देना, उनका लाभ और हानि  के प्रति नजरिया बहुत अलग हैं,बुक चैप्टर में बटी हैं और उनके अलग अलग अनुभव हैं कई अनुभव बहुत ही अच्छे हैं परंतु कई बहुत ही मामूली हैं,  पर उनकी सीख वही नैतिक  हैं |


तीन हजार टांके / THREE THAOSEND STICHES  नॉवेल खरीदने के लिए इस बुक पर क्लिक करें 



लेखक -  श्रीमती  सुधा मूर्ति 

सुधा मूर्ति जी का जन्म 1950 मे उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव  में हुआ,वे बचपन से ही मेधावी विद्यार्थी थी  और  इंजीनियर कॉलेज  में वो एक मात्र महिला  विद्यार्थी थी, उन्होंने Electrical and Electronics Engineering से  B.Eng. की डिग्री ली|उन्होंने class में प्रथम स्थान  और  कर्नाटक  Chief Minister से Gold Medal लीये|  सुधा जी  ने Indian Institute of Science, से Computer साइंस में  M.Eng. किया  और अपने क्लास  class मे पहला आई और  Gold medal हासिल किया|


आप को इस  किताब तीन हजार टांके (THREE THAOSEND STICHES) की समीक्षा कैसे लगी कमेन्ट कर जरूर बताए | 



एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने