निक्की, दादाजी और कबीर की सीख ।


kabirdas ke dohe
Nikki & Dadaji Story 

निक्की के स्कूल में डांस कॉम्पिटिशन हैं निक्की को उसमे पार्ट लेना हैं पर उसे भरतनाट्यम नहीं आता वह परेशान उदास  बैठी सोच में हैं की क्या करें तभी दादा जी की आवाज आई -निक्की कहा खोई हुई बैठी हो , जाकर  नाश्ता करो, नहाओ, तैयार हो |

निक्की- दादा जी मेरे स्कूल में डांस कॉम्पिटिशन हैं और मुझे पार्ट लेना हैं।  

दादाजी- हाँ , तो इसमे क्या बड़ी बात हैं।  जरूर लो ,कब हैं तुम्हारा डांस काम्पिटिशन ?


निक्की- 26 जनवरी को | 

दादाजी- तो तुम्हें समस्या क्या हैं सॉन्ग सिलेक्ट नहीं हुआ क्या ? या रूपल ने मना कर दिया 

निक्की- नहीं इस साल भरतनाट्यम डांस  करना हैं और मुझे भरतनाट्यम नहीं आता हैं, अब  मैं क्या  करूं ? और रूपल  ने पिछले गर्मी की छुट्टी में भरतनाट्यम डांस क्लास जॉइन  किया था और  उसे अब आने भी लगा हैं |

दादाजी -  तो क्या हुआ , तुम भी आज से ही  डांस क्लास जॉइन करो | कुछ  महीने में तुम्हें भी  आने लगे गा |

निक्की -  कैसे दादाजी अब बस 1 महीना बचा है , मैं नहीं  सीख पाऊँगी !

दादाजी  - देखो मैं तुम्हें कबीर  दास जी की एक दोहे से तुम्हारी परेशानी दूर करता हूँ । 

                                जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, 

                                 मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ

मतलब जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते  हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है। लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के  डर (भय) से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते।

पापा- सुना निक्की, दादाजी ने कितनी अच्छी बात कही अब तुम जल्दी से क्लास जॉइन कर लो |

निक्की- हाँ पापा ! मैं समझी , पर दादाजी..  रूपल और कई लड़किया मुझसे पहले ही क्लास  जॉइन  कर ली हैं मैं उनके जितना अच्छा नहीं कर पाऊँगी ?

दादाजी- अब एक और ज्ञान की बात कबीर दास जी जो तुमको बताना  चाहते हैं .....

 करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान 
रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान।

निक्की- मतलब  

दादाजी

मतलब बार-बार अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान हो सकता है। जैसे कुएँ के पत्थर पर बार-बार रस्सी को खींचने से पत्थर पर रस्सी का निशान पड़ जाते हैं, वैसे तुम भी रोज प्रैक्टिस करना और तुम्हें भी आने लगेगा |

निक्की  - तो ठीक है, मैं आज ही जॉइन करती हूँ ।  

15 दिन बीत गए .. .. निक्की फिर दादा के पास पहुच गई दादा जी 15 दिन हो गए फिर भी मुझे रूपल जैसा नहीं आ रहा मैं रोज प्रैक्टिस करती हूँ फिर भी ?

दादाजी -  प्रयास करते रहो .. .. patience रखो   सब्र करो तुम्हें आ जाएगा  

                             धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,

                             माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।

 धैर्य रखो बेटी सब कुछ धीरे धीरे ही होता हैं  सोचो  अगर  माली इस नवंबर- दिसंबर  में  किसी आम के पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे, तब भी आम फल तो अपने मौसम आने पर ही लगेगा!  तो  हर चीज का होने में  समय लगता है। तुम सब्र रखो 

निक्की- ok दादा जी पर मुझे नहीं लगता मैं डांस के लिए पार्ट कर पाऊँगी रूपल को बहुत अच्छा आने लगा हैं 
दादाजी-

 मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत ।

निक्की- अब इसका मीनिंग दादा जी ,
दादाजी- इसका मीनिंग हैं यदि तुम  मन में हार मान ली ,तुम्हें खुद पर  विश्वास नहीं , तो तुम कॉम्पिटिशन के पहले ही हार मान गई हो । 

निक्की- नहीं..  दादा जी,   

दादाजी -
 याद रखो  जीवन में हार जीत  केवल मन की भावनाएं हैं.यदि मनुष्य मन से हार गया  तो वह पहले ही पराजय हो गया है और यदि उसने मन से  जीत लिया तो वह विजेता है. और वैसे ही  ईश्वर को भी मन के विश्वास से ही पा सकते हैं – यदि प्राप्ति का भरोसा ही नहीं ,तो कैसे पाएंगे? 
निक्की  -  हाँ ..   सॉरी दादाजी मैं डर रही कि  कही रूपल का हो गया और मेरा                      सिलेक्शन नहीं हुआ तो! 
दादाजी
तो क्या..  तुम भी  पूरी लगन के साथ ट्राई करो , रूपल के सिलेक्शन से भी  तुम्हें खुश ही होना चाहिए , रूपल तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड हैं और तुम्हें उसके  लिए भी खुश होना चाहिए 
निक्की-  
नहीं..  रूपल  अच्छी नहीं हैं !  वो अगर सिलेक्ट हुई  तो मुझे चिढ़ाएगी ,और वो फिर घमढ़ भी करेगी की  उसको सब कुछ आता हैं पर मैं जानती   हुं ..  उसको कुछ नहीं आता |
दादाजी  - अच्छा ऐसा है .. तुम्हें इतनी सारी बुराई कैसे दिखी रूपल में ?.. लगता है                  तुम ईर्ष्या कर रही  हो रूपल से, 
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय । 
                                 जो मन देखा आपना, मुझसे बुरा न कोय । 
दादाजी  - निक्की इसका मीनिंग समझी 
निक्की  - नहीं 
दादाजी -  
 तो तुमने पुछ क्यों नहीं रही  हो 
इसका मतलब हैं जब मैं  दूसरों में बुराई खोजने  चला   तो पाया कि  मुझे कोई बुरा मिला ही नहीं .पर  जब  मैं   अपने  आप को अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझ से ज्यादा बुरा कोई नहीं है. 
 
निक्की-    ईर्ष्या .. वो क्या होता है ?
दादाजी-   
 देखो रूपल तुम्हारी कल तक बहुत अच्छी फ्रेंड थी पर जैसे तुम्हें लगा रूपल तुमसे आगे हो रही  तुम्हें उसमे कई बुराई दिखने लगी ..  हैं ना  तो तुम्हें रूपल अब अच्छी नहीं लग रही।  तो तुम्हें रूपल से ईर्ष्या  यानी  जेलसी हो रही  |
निक्की- शायद दादाजी ,
दादाजी- तो यह गलत है निक्की .. हमे कभी भी दूसरों की योग्यता उसकी क्वालिटी               से नहीं जलना चाहिए। रूपल भी मन लगा कर प्रैक्टिस कर रही तुम भी                 करो.. क्योंकि  
     ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग ।
  तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग । 

तिल जानती हो ना ? लड्डू जिसका कहती हो ॥ उसी  तिल के अंदर तेल होता है, और आग के अंदर रौशनी होती है ठीक वैसे ही हमारा ईश्वर यानी हमारी शक्ति विश्वास हमारे अंदर ही विद्धमान है, इसे  खोजो और पाओ । तुम्हारी शक्ति तुम्हारे अंदर ही हैं बाहर के लोग इसे छिन नहीं सकते हैं | अब जाओ  तुम्हारी दादी बुला रही  हैं 

 निक्की -    Thank You दादा जी॥ 

निक्की जल्दी से जाकर दादी से मिली दादी ने उसे तिल के लड्डू दिये जो निक्की को बहुत पसंद हैं और उसे खा कर निक्की ने फिर प्रैक्टिस स्टार्ट कर दिया । 1 महीने के अंदर उसने जितना सिख उसे बहुत ही बेहतर करती रही , और उसका सिलेक्शन हो गया , अब वो और रूपल साथ में प्रैक्टिस करते थे 
            फिर 26 जनवरी आई निक्की जल्दी से तयार हो सुबह ही स्कूल चली गई और उसके परफॉर्मनस का टाइम आने ही वाला था तो उसने स्टेज से झांक के देख के उसके घर से दादा दादी माँ पापा भैया पहुचे के नहीं .. वो सब दूसरे रो में बैठे थे निक्की बहुत खुश हुए । 
रात को निक्की और  सब घर आए तो माँ ने बोला कोई बात नहीं निक्की हार जीत लगी रहती हैं तुम सेकंड आई तुम्हें प्राइज़ भी मिल हैं दादी ने भी साझाया की हो गया अगली बार अच्छे से प्रैक्टिस करना और फर्स्ट आना | 

 

निक्की-  मम्मी चुप करो आप ,मुझे मत कुछ नहीं सुनना |

दादाजी-
 निक्की गुस्सा क्यों हो तुम्हें मैंने बताया था जिंदगी में कुछ भी करो उसे कभी -भी जीत - हार से मत तोलना ,जरूरी होता हैं की तुम्हें अच्छा लगा  की नहीं कुछ नया सीखा की नही मज़ा आया क्या  और पार्ट  लेना  महत्वपूर्ण , आप पार्ट लो और प्रैक्टिस करो असली इन्जॉय तो डांस करने में  था या फर्स्ट प्राइस लेने में ,खुशी जरूरी हैं और मैंने देखा था की डांस करते  समय तुम बहुत खुश थी ,खुश थी की नहीं बताओ ?

निक्की- हां दादाजी मैं बहुत खुश थी मैंने इतना अच्छा ड्रेस पहना और डांस किया                तो     मुझे मज़ा भी बहुत आया  पर .. ॥ 

 दादाजी - बस एक प्राइस न मिलने से तुम दुखी हो गई .. गलत बात 
निक्की - सॉरी दादाजी  मुझे आज डांस करने में बहुत मज़ा आया था। 
दादाजी - हाँ अब समझी तुम… अब एक और काम करो जाकर मा और दादी को                    सॉरी बोलो और यह बात  हमेशा  याद रखना पुरे जीवन भर, 

                             ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय |
औरन को शीतल करै, आपौ शीतल होय ||

हमेशा अच्छी से बात करो सभी ताकि तुम भी शांत रहो और दूसरे के भी ख़ुशी और शांति दें
निक्की -     ओके दादाजी मैं अभी जाती हूँ और माँ और दादी को सॉरी बोलती हूँ ..


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