चन्द्रकांता - बाबू देवकीनंदन खत्री - पुस्तक समीक्षा

 "Chandrakanta"   Book Review  In  Hindi 

chandrakanta book review
चंद्रकांता बुक रिव्यू 

"चंद्रकांता" उपन्यास -  पुस्तक समीक्षा 


     पुस्तक का नाम        

 "चन्द्रकांता "

शैली /GENRES :-

तिलिस्म,जादू ,प्रेमकथा  

लेखक /AUTHOR :-

 बाबू देवकी नंदन  खत्री

प्रकाशक /PUBLISHER

 

प्रकाशन/PUBLISHED

  जुलाई 1887

सीरीज/SERIES

 'चंद्रकान्ता सन्तति' ,'भूतनाथ'

मूल्य/price

 110 

काल्पनिक / Fictional

 काल्पनिक 

वास्तविक/Nonfictional

  नहीं |

ABUSIVE WORD

  नहीं |

पाठक / Reader Age

 15+

भाषा /Language

 सरल हिन्दी, उर्दू  

क्या बच्चों के लिए हैं?

 

 

 

 

"चंद्रकांता" पुस्तक समीक्षा -


हिन्दी साहित्य में  बहुत से उपन्यास लिखे गए हैं पर चंद्रकांता अपनी अलग छवि रखती हैं कल्पना फैनटसी से भारी उपन्यास, भारतीय हिन्दी साहित्य में पहली तिलिस्म और जादूई, हाई फैंटेसी से भारी कल्पनिक कथा हैं, इसे बाबू देवकीनंदन खत्री द्वारा  1887 मे लिखा गई पहली उपन्यास थी  यानी आज से 133 साल पहले, चंद्रकांता पुस्तक सीरीज हैं अगले में चंद्रकांता संतति ,भूतनाथ |इसने हिन्दी में पढ़ने वालों की संख्या मे वृद्धि कर दी |
                                                     कहानी में रहस्य ,रोमांच और हरतंगेज़ किस्सों का भरमार हैं| चंद्रकांता एक प्रेम कथा  के साथ जादुई तिलिस्म, रहस्य ,युद्ध ,चालाकी,षड़यंत्रो ,अद्भुत कल्पना का मिक्स्चर हैं ,कहानी 1887 के आसपास लिखी गई हैं तो इसमे राजवंशों के बीच की कहानी हैं जहाँ दीवान है| जासूस हैं और ऐयार हैं ...... ऐयार !
                                                             ऐयार की ऐयारी  (चालाकी ) जो हरफनमौला यानी सूरत बदलना ,बहुत सी दवाई का जानना, गाना  बजाना अस्त्र  चलना ,जासूसी  का काम  वगैरा  बहुत सी बातों के जान कार होते हैं | ये इतने तेज होते हैं की आसानी से किसी को भी मूर्ख बना सकते हैं | 

अपने समय से आगे की यह कहानी बहुत ही लोकप्रिय हुई  और हिन्दी के स्तर को भी ऊंचा किया |इस कहानी में  आज के फंटासी जादुई  कहानी के बराबर टक्कर देने की शक्ति हैं ,उपन्यास की भाषा सरल हिन्दी और  उर्दू का प्रयोग हैं, परंतु सरल और समझने योग्य ही हैं |

चंद्रकांता क्यों पढ़े ?

 जिन्हे भी जादुई, रहस्य जासूसी फांतासी  नॉवेल पढ़ना पसंद हैं उनके लिए यह नॉवेल बहुत ही अच्छी  हैं  यह भारत की पहली हिन्दी में लिखी कहानी हैं और इन्हे जरूर पढ़ना चाहिए , यह नॉवेल एक सीरीज का हिस्सा हैं इसके अगले में चंद्रकांता संतति और भूतनाथ हैं |


चंद्रकांता उपन्यास के पात्र 

 

चंद्रकांता उपन्यास की कहानी  3 राज्यों के चालाक  ऐयार के ऐयारियों में  है |हर रजवाड़े अपने पास एक से बढ़कर एक ऐयार जो रखता हैं ये बहरूपिये की तरह बिना जन व धन हानि के विरोध को पराजित कर देते हैं | मुख्य पात्र तो चंद्रकांता , उसकी सेविका चम्पा और  चपला जो एक ऐयार हैं  महाराज जय सिंह, क्रूरसिंह  है तो दूसरी ओर नवगढ़ के  वीरेंद्र सिंह, तेजसिंह (ऐयार ) , चुनार के राज्य शिवदत्त ,देवी सिंह, ज्योतिषी जगन्नाथ,  |




chandrakanta "चंद्रकांता " सारांश 


चंद्रकांता की कहानी दो रजवाड़ों नवगढ़ और विजयगढ़ की हैं ,दोनों पहाड़ी रजवाड़ों मे पहले बहुत मेलमिलाप था फिर वजीर के लड़के की चालाकी से दो राज्य के रिस्ते बिगड़ गए , लेकिन नवगढ़ के राजकुमार विरेन्द्र सिंह और विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता एक दूसरे को पसंद करते हैं लेकिन विजय गढ़ के दीवान के पुत्र क्रूरसिंह अपने राज्य जयसिंघ से गुस्सा कर विरोधी  राजा को  चंद्रकांता को अगवा कर दुश्मनी  कर देता हैं जो सब   उनकी रास्ते में बहुत सी तखलीफ़ लाता  हैं | जिसमे ऐयार , तिलिस्मी घाटिया ,भयानक जंगलों इस कहानी के रोमांच को और भी बढ़ा देते हैं | 




"चंद्रकांता "  लेखक - बाबू देवकी नंदन खत्री (1861-1913 )


बाबू देवकी नंदन खत्री  हिन्दी के  प्रथम तिलिस्मी कहानी के कहानीकार  हैं इस किताब  को  पढ़ने  के लिए कई गैर-हिंदीभाषियों ने हिंदी सीखी। बाबू देवकीनंदन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिंदी भाषियों के बीच लोकप्रिय बनाया। जितने हिन्दी पाठक बाबू देवकीनन्दन खत्री ने उत्पन्न किये उतने किसी और ग्रंथकार ने नहीं।
                                                  चन्द्रकान्ता उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि जो लोग हिन्दी लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे या उर्दूदाँ थे, उन्होंने केवल इस उपन्यास को पढ़ने के लिए हिन्दी सीखी। इसी लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसी कथा को आगे बढ़ाते हुए दूसरा उपन्यास "चन्द्रकान्ता संतति " लिखा जो "चन्द्रकान्ता" की अपेक्षा कई गुना  रोचक था। इन उपन्यासों को पढ़ते वक्त लोग खाना-पीना भी भूल जाते थे। इन उपन्यासों की भाषा इतनी सरल है कि इन्हें पाँचवीं कक्षा के छात्र भी पढ़ लेते हैं।


उम्मीद हैं आपको यह चन्द्रकान्ता पुस्तक समीक्षा  अच्छी लगी होगी हमे कमेन्ट कर जरूर बताए, धन्यवाद !

 फेसबुक -     abhimystoryFBPAGE   
इंस्टाग्राम - @abhimystoryINSTA   


इन्हे भी देखे -



एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने