"और मेरा विगत" - बाला शर्मा -पुस्तक समीक्षा

 

"Aur Mera Vigat"  Pustak Samiksha in Hindi |"और मेरा विगत"-पुस्तक समीक्षा 

        उपन्यास  -

  और मेरा विगत 

Genres  /विषय   :-

 नारी प्रधान नॉवेल 

writer /लेखक  :- 

 बाला शर्मा 

 प्रकाशन/publisher   :- 

 वातायन प्रकाशन 

प्रकाशन वर्ष :-

 1982 

पुस्तक का मूल्य :-

 20 रुपए

"Aur Mera Vigat"  Pustak Samiksha in Hindi 

 


"और मेरा विगत" पुस्तक समीक्षा -


"और मेरा विगत" उपन्यास परिचय  ,लेखिका "बाला  शर्मा"

 "और मेरा विगत"  उपन्यास 1982 मे प्रकाशित हुई इसकी लेखिका "बाला  शर्मा" जी हैं इसका प्रकाशन वातायन प्रकाशन से हुआ हैं | ,यह  नारी केंद्रित उपन्यास हैं इसकी मुख्य पात्र एक महिला अनु की कहानी हैं|जो अपने जीवन में बहुत कुछ सह कर अपना अस्तित्व अपना आत्मसम्मान हासिल करती हैं | उपन्यास में बिना ज्यादा शब्दों के  महिला सशक्तिकरण का आभास करती हैं |


"और मेरा विगत" उपन्यास विषय वस्तु -

उपन्यास की विषयवस्तु  उस वक्त यानि 90 के दसक में महिलाओ पर केंद्रित हैं, जो माडर्नाइज़ैश और सामाजिक रीति से बंधी हैं ,प्रगति करने के लिए समाज उसे  शिक्षित चाहता  है ,पर अपने अधिकारों को पाने के लिए योग्यता  नहीं | मुख्य पात्र में  एक युवती अनु की कहानी है तो  दो सहायक पात्र में मोनिका और श्रीमती सिन्हा  हैं ,श्रीमती सिन्हा  जो अधेर उम्र की महिला हैं और उम्र के इस दहलीज में उनके पति किसी अन्य महिला के इए उनका त्याग कर देते हैं, 

                                    अनु,जो इस उपन्यास की मुख्य पात्र  हैं जो शिक्षित हैं  समझदार  हैं ,कम् उम्र में ही माता का देहांत हो गया और बच्ची मातृ-विहीन ,पिता की परवरिश में पालि बढ़ी ,दिल्ली में अपने पिता के साथ रहती हैं ,अपने पिता की इच्छा से निखिल नाम के लड़के से विवाह करती हैं |                                                                                                                                            निखिल स्वार्थी, दुश्चरित, लंपट किस्म का आदमी  था अपने पति के चरित्रहीन होने, उसके गलत बर्ताव को समाज के लिए सहन करना व उसके अपनों का भी ईस परिस्थिति में साथ न देना अनु को लिए असहनीय हैं ,

                           पढ़ी लिखी हो कर भी वह समाज के बंधनों  के  सामने असहाय , बेसहारा ही प्रतीत होती है सम्पूर्ण गुणों के बाद भी वह स्वयं के लिए असमर्थ हैं, विवस हैं, माता  विहीन कन्या पिता के प्यार मे पालि हैं पर पिता भी स्वयं की उम्र दराज होने पर उसके लिए चिंतित हैं, पिता अपने बाद अपनी पुत्री को असमर्थ और असहाय देखते  हैं |



"और मेरा विगत" उपन्यास अपने प्रकाशन समय के आगे की कहानी हैं, वर्तमान की स्थिति में भी यह उपन्यास पुरानी नहीं लगती हैं | इसकी प्रगतिवादी सोच ,महिलासशक्तिकरण उसका आत्मसम्मान की बात बहुत ही बेबाकी से कहते दिखी हैं, कुछ जगह ये पात्र  कमजोर जरूर हुए पर स्वयं पर विश्वास किया और अपने उस डर से आगे बढ़े उसे पार किया |


"और मेरा विगत "- पुस्तक समीक्षा |  "Aur Mera Vigat"  Pustak Samiksha in Hindi 

उम्मीद हैं आपको यह और मेरा विगत पुस्तक समीक्षा  अच्छी लगी होगी हमे कमेन्ट कर जरूर बताए, धन्यवाद !


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